कच्चे तेल की कीमतों में हुई गिरावट से अमेरिका की 11 सौ कंपनियों पर संकट

दुनियाभर में जारी लॉकडाउन की बदौलत पहली बार कच्चे तेल की कीमत शून्य से नीचे आई है। लेकिन इसकी वजह से अमेरिका की 1100 तेल कंपनियों पर दिवालिया होने का खतरा मंडराने लगा है। रिस्टॉड एनर्जी के शोध प्रमुख का कहना है कि कच्चे तेल का भाव औसतन 20 डॉलर प्रति बैरल रहता है तो अगले साल 533 कंपनियां दिवालिया कानून के तहत आवेदन कर सकती हैं जबकि दाम 10 डॉलर होने पर इनकी संख्या 1100 से अधिक हो सकती है। आगे और बड़ी गिरावट की आशंका विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर कंपनियां दो महीना पहले क्रूड खरीदती हैं। रिफाइनटिव ऑयल रिसर्च के डायरेक्टर यांग चोंग यॉ का कहना है कि मार्च की शुरुआत से कीमतों में गिरावट शुरू हुई थी। लॉकडाइन बढ़ता है तो कीमतें कहां तक गिरेंगी, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

मंगलवार को मई अनुबंध शून्य से नीचे 14 डॉलर प्रति बैरल पर खुलने के बाद जोरदार 39.23 डॉलर की रिकवकरी के साथ 1.65 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था। हालांकि जून डिलीवरी अनुबंध में इतनी बड़ी गिरावट नहीं आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि ओपेक और रूस के बीच उत्पादन कटौती को लेकर जो करार हुआ है, वह मई से लागू है इसलिए जून अनुबंधों में इतनी बड़ी गिरावट नहीं आई है।

ऐतिहासिक गिरावट के बाद अमेरिकी क्रूड डब्ल्यूटीआई में मंगलवार को तेजी लौटी लेकिन ब्रेंट क्रूड के भाव में अभी नरमी बनी हुई है। कोरोना के कहर के चलते तेल की आपूर्ति के मुकाबले मांग कम होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में बीते सत्र में अमेरिकी क्रूड डब्ल्यूटीआई का भाव शून्य से नीचे 37.63 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के सबसे सक्रिय अनुबंध जून डिलीवरी अनुबंध में पिछले सत्र से 0.74 फीसदी की नरमी के साथ 25.38 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था।

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